Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -17-Jun-2022 - पुजारी

पुजारी जी के झोले मे माला रुद्राक्ष की,
भक्ति की पूंजी उसमें न बात कटाक्ष की।
मंत्रों का उच्चारण करते हैं मनोयोग से,
बांचते कुंडली सभी की वो बड़े योग से।
घर में पूजा होती तो पुजारी जी आते,
साथ में अपने ज्ञान का खजाना लाते।
कथा वो सुनाते भक्तों को ईश्वर की,
पूजा, अर्चना करते वो परमेश्वर की।
धर्म- कर्म, दान-पुण्य कराते पुजारी जी,
सदाचार की मूरत संत होते पुजारी जी।
व्यभिचारी पुजारी भी आज बहुत मिलते,
छल -प्रपंची, लोभी अनुचारी हमें खलते।
तिलक, जनेऊ से पुजारी नहीं कोई बनता,
अहंकार से पुजारी का जीवन नहीं छनता।
मन मंदिर में हो भगवन तो वो सच्चे पुजारी,
पाखंडियों पुजारियों के नाम पर जगत में,
न बनाओ इसे धंधा बजारी।।


दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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6 Comments

Pallavi

18-Jun-2022 09:15 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

18-Jun-2022 05:44 PM

बेहतरीन रचना

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Swati chourasia

17-Jun-2022 07:37 PM

Very nice 👌

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